मां की महिमा
मां की महिमा
विधा -- जयकारी, चौपई
माता ऑंचल ममता रूप, रक्षा करती बनकर भूप।
करते सब तो तुम्हें प्रणाम, मिला मुझे तुम से ही नाम।।
माॅं तो है गुण की भंडार, चलता इनसे ही संसार।
देती सबको अनुपम ज्ञान, शुचिता बनकर रखती ध्यान।।1
माॅं होती देवी अवतार, दुर्गा काली गंगा धार।
मां तो है ज्ञानी भंडार, ऋषि मुनि गाते है गुणगान।।
पहली गुरुवर मेरी मात, दिया मुझे तो शुभ सौगात।
माता मुझको दो वरदान, जग में रोशन मेरा नाम।।2
माता देती है संस्कार, माने कभी न बच्चे हार।
मंजिल को पाना है आज, सच्चाई से करना काज।।3
बेटा बेटी एक समान, शिक्षा का हो सबको ज्ञान।
मां होती जीवन आधार, रखती बच्चों का वो ध्यान।। 4
