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Asmita prashant Pushpanjali

Others

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Asmita prashant Pushpanjali

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लोकतंत्र का हाल।

लोकतंत्र का हाल।

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ना पुछो भैया यहाँ आज कल

है कैसा लोकतंत्र का हाल

वोट बिकता है गरीब का।

एक नल्ली या हो प्याला शराब का


अगर बिके मतदाता पाचसौ की लालच में

तो अनुमान लगाओ जरा

नेता कितना लुट नोच खाये

देश को विकास के नाम पे


प्रजातंत्र तो नामभर रह गया

इएम वी के बंद मशिन में

निकलती है वही पर्ची गिनती में

जो डाली हो पक्ष सत्ताधारीने


बापू, आंबेडकर, भगतसिंग के देशका

आज है निराला हाल

संविधान है कहता यहा,"भारतदेश"महान

अंधजातीवादी चले बनाने इसे "हिंदूस्थान"

ना पुछो भैया यहाँ आज कल

है कैसा लोकतंत्र का हाल.



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