लड़की बन कर तो देखो
लड़की बन कर तो देखो
लड़की बनना आसान थोड़ी है,
लड़की बनना आसान थोड़ी है ....
अगर है तो कभी लड़की बन के तो देखो .......।
बचपन से समाज में
भेद भाव को झेलना,
आसान थोड़ी है ....
बचपन से समाज में
भेद भाव को झेलना,
आसान थोड़ी है .......
अगर है तो कभी लड़की बन के तो देखो ........।
ये ना करो,
वो ना करो ,
तुम लड़की हो जरा दूर रहो ...,
ये ना करो,
वो ना करो,
तुम लड़की हो जरा दूर रहो ....।
ये सब बर्दाश्त करना आसान थोड़ी है .......
अगर है तो कभी लड़की बन कर तो देखो........।
मायके में....
तुम लड़की हो,
चूल्हा जलाओ,
खाना पका ओ ....
तुम लड़की हो चूल्हा जलाओ ,
खाना पका ओ .....
ये सब सुन पाना आसान थोड़ी है ........
अगर है तो कभी लड़की बन कर तो देखो ........।
ससुराल में ......
तुम घर की बहु हो ,
घर संभालो,
बच्चे संभालो,
घूंघट संभालो ,
अपनी कदम संभालो ,
ज्यादा हँसो मतो ,
कभी आंसू किसी को दिखना मत ...
ज्यादा सपने दिखना मत,
किसी के आगे जोर से बोलना मत ....
ना जाने और कितने बातों को
हजम करना आसान थोड़ी है ......।
अगर है ..
तो कभी लड़की बन कर तो देखो ......।
ना जाने कब
अपनी पैर को संभालते संभालते ....
फिर दुपट्टा संभाल ने लगती है,
तो फिर कभी ..
अपनी भावनाओं को छुपाकर
हंसना भी सीख जाती है .....
दूसरों को हंसाने के लिए,
खुद की आंसू को पी जाती है ....।
फिर मायके से ससुराल जा के
और एक घर को अपना बनाना ...
सच में है क्या आसान .....?
अगर है तो कभी लड़की बन कर तो देखो...।
ना जाने कितने
मजाक उड़ाते है बस,
फिर भी एक लड़की सह जाती है .......।
अगर ये सब है इतने आसान
तो कभी
लड़की बन कर तो देखो ......
कभी लड़की बन कर तो देखो .....।