कविता पर लिख रही हूँ कविता
कविता पर लिख रही हूँ कविता
कविता पर लिख रही हूँ आज मैं कविता
कविता पर लिख रही हूँ आज मैं कविता
मेरी कविता में सिर्फ़ अल्फ़ाज़ नहीं है
मैंने बयां किया है मेरा हाल-ए-दिल है
मेरी कविता में सिर्फ़ पंक्तिया नहीं है
मैंने महसूस की हुई एक अनुभूति है
मेरी कविता में सिर्फ़ संसार का अनुभव नहीं है
मेरी ख़ुद की ज़िंदगी का लिखा मैंने तज़ुर्बा है
मेरी कविता सिर्फ़ एक कल्पना नहीं है
मेरी कविता हर एक मर्ज़ की दवा है
मेरी कविता सिर्फ़ भौतिक सौंदर्य नहीं दिखाती
प्रकृति से प्रेम, दया, और करुणा है सिखाती
मेरी कविता सिर्फ़ एक कहानी नहीं है
मेरी कविता जैसे बजती एक तरंग है
मेरी कविता में सिर्फ़ कड़ियाँ नहीं है
मेरी कविता में बसा मेरा अनुराग है
मेरी कविता में सिर्फ़ लय, छंद नहीं है
मेरी कविता माँ सरस्वती की प्रेरणा से है।।
