कुछ ऐसी ग़लतफहमी
कुछ ऐसी ग़लतफहमी
उन्हें लगने लगा था
कि अब हम जी ना पाएंगे उनके बिना
उनकी यह ग़लतफहमी ही
हमारे जीने का कारण बन गई
कब तक एक तरफ़ा प्यार करते उनसे
हमने भी अपना नया किनारा ढूंढ लिया
जब गवारा ना हुआ उनसे
हमारा यह बदला हुआ अंदाज़
तो वो खुद ही हमारी बस्ती में
आने की गुस्ताखी कर बैठे
चाहते तो हम भी थे
उनके साथ वक्त बिताना
पर क्या करते जब उनसे भी दिलचस्प
हमें इत्तेफ़ाक मिल गया था
अब आलम यह है कि
ना उनका आते बनता है और ना जाते
और अब बस इंतजार होता है
कि कब हमारा वक्त पलटेगा
और हम फिर से
उनके पहलू में होंगे ।।