करतब
करतब
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मुखौटेदार बन चुका है करतब
रह गया है सिर्फ अपना ही मतलब।
खुदा, भगवान एक ही नाम हैं
लेकिन आदमी के लिए है मजहब।
दिखती हैं महफिलें चारों तरफ
फिर भी आदमी है अकेला अनोखा है गजब।
तालीम हो गई आनलाइन जब से,
सुना हो गया सबका मकसद।
हकीकत चल रही है बैसाखियों के सहारे सुदर्शन
\दिखावे का रह गया करतब।
बहारें जा चुकी हैं जिंदगी से
फिर जीने का क्या रहा मकसद।
कहां से लायें चेहरों पे रौनक
सुदर्शन, हरेक दिल में है कोई न कोई हलचल।