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Sachhidanand Maurya

Abstract

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Sachhidanand Maurya

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कोरोना- प्रकृति की प्रतिक्रिया

कोरोना- प्रकृति की प्रतिक्रिया

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जब जब प्रकृति को ,

मानव ने हद से ज्यादा निचोड़ा है,

प्रलय,भूकम्प, सुनामी,महामारी के हथियारों से

उसने सर मानव का फोड़ा है।


जाने कौन सी होड़ लगी है,

दुनिया में सुपर पावर बनने की,

नैतिकता को भूल गए,

आदत हो गई गलत मार्ग पर चलने की,

सब रौंद रहे एक दूजे को,

बन बैठे सनकी घोड़ा हैं।


कमर तोड़ दी मानव ने,

साथ कितने खिलवाड़ किए,

निबोलों पर जुर्म किए,

कितनों के प्राण लिए,

अब भुगतो जबकि नियति ने,

तुम्हारी सांसो को तोड़ा है।


प्रकृति से प्रेम करो,

बदले में मा का प्यार मिलेगा,

प्रकृति से जंग में मानव,

तुमको सदा ही हार मिलेगा,

प्रेम मार्ग या युद्ध मार्ग

चुनना तुम पर ही छोड़ा है।


है यही शान्ति संदेेश मेरा,

है पूरा ही देश मेरा,

सबको आज साथ लाना है,

इसी में है जीत मेरी,

सच्ची मानवता से हार जाना है

कोरोना के इस सन्देश ने

सम्पूर्ण विश्व जगत को एक सूत्र में जोड़ा है।


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