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Jalpa lalani

Others

5.0  

Jalpa lalani

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कल हो ना हो

कल हो ना हो

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आज बरसो बाद फ़िर से वो दिन आया था,

मेरी दोस्त ने मिलने का आयोजन बनाया था।


खो गये थे वक़्त के भँवर में दोनों,

जब मिले भाव-विभोर बन गये दोनों।


ये एक दिन सिर्फ़ हमारी दोस्ती के नाम,

पूरे करने है वो सारे अधूरे अरमान।


फ़िर क्या पता कल हो न हो...


आहना के साथ शुरू हुआ सुंदर दिन हमारा,

अभी तो साथ बिताना है दिन सारा।


अभी भी था उसमें वही बचपना,

ज़िद थी उसकी मेरे हाथ का खाना।


अब जल्दी तैयार हो बाज़ार भी है जाना,

उसका हमेशा से था हर बात में देरी करना।


ये लेना है, वो लेना है करते करते पूरा बाज़ार धूम लिया,

फ़िर भी मैं खुश थी ना जाने फ़िर कब मिले ये खुशफहमियां।


फ़िर क्या पता कल हो ना हो...


अब कितनी करनी है ख़रीदारी मूझे भूख लगी है भारी,

क्या पता था एक दिन यही बातें, यादें बनेगी सुनहरी।


अभी तो कितने ईरादे है, है कितनी ख्वाहिशें,

आज पूरी करनी है मेरी दोस्त की हर फ़रमाइशें।


पहली बार सिनेमा देखने गये साथ,

इतने सालों बाद आज पूरी हुए हसरत।


फ़िर क्या पता कल हो ना हो...


वो शाम भी कितनी हसीन थी दोस्त के साथ समुद्र की लहरें थी,

फ़िर से बच्चे बन गये थे फ़िर से रेत पर घर बनाये थे फ़िर से कागज़ की कश्ती बहाई थी।


उफ! ये रात को भी इतनी जल्दी आना था,

दोनों को अपने अपने घर वापस भी तो जाना था।


नहीं भूल पायेंगे वो पल वो एक दिन को,

भेटकर रो लिये दोनों फ़िर क्या पता कल हो ना हो।


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