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Lokanath Rath

Others

4  

Lokanath Rath

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कल और आज...

कल और आज...

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रिश्ते कल भी सारे थे 

रिश्ते आज भी कुछ है 

पर अपनेपन का अहसास बदल गया, 

कल गले मिलते 

आज दूर से देखते 

निभाने की तरीका भी बदल गया।


कल खुशियाँ हम बांटते थे 

आज खुशियाँ हम ढूंढ़ते है 

अब सोच भी अपना बदल गया, 

कल साथ बैठते 

आज दूर हो गये 

ओर साथी भी बदल गये।


कल अक्सर हम मिलते थे 

आज मिलने की वजह ढूंढ़ते 

जीने की तरीका बदल गया है,

कल दूसरों का आंसू पोंछते 

आज एक दूसरों को रुलाते 

चाहत की अर्थ भी बदल गया।


कल एकसाथ हम खेलते थे 

आज एक दूसरे को खिलाते है 

अब विचार भी बदल गया, 

कल रूठते, मनाते थे 

आज रूठ के चले जाते 

अब विश्वास ही बदल गया।


कल त्योहार पे मिलते थे 

आज सिर्फ त्योहार मनाते है 

अब अपनापन भी बदल गया, 

कल सब ख़ुश थे 

आज खुशियाँ ढूंढते है 

अब मनाने की तरीका बदल गया।  


कल आज के सपने देखते

आज कल को बदलना चाहते है 

अब चाहत की सोच बदल गई , 

कल फूल खिलते थे 

आज फूल खिलते है 

पर उनका खुलेपन अब बदल गया।


कल मौत के बारे में सुनते थे 

आज मौत को करीब से देखते है 

अब सुनना देखना भी बदल गया,

कल इतिहास पढ़ते थे 

आज इतिहास लिखते है 

लगता है सब कुछ बदल गया।



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