ख़्वाबों का काफिला
ख़्वाबों का काफिला

1 min

186
कल रात मिला ख़्वाबों का इक काफिला
अजनबी मुकामों से गुज़रता हुआ
पहुंचा जब तेरे शहर में कहीं
लगा यूँ जैसे जन्नत यहीं है यहीं
वो सूरज की किरणों से
बल खाती नदी की अठखेलियां
वो हवा की मादक धुन पर
लहराती पेड़ों की डालियाँ
वो चहकते हुए पंछियों की
मासूम किलकारियाँ
वो लालिमा आसमान की मानो
साजन की बाँहों में कोई दुल्हनिया
वो ओस से भीगे फूलों पर
रंगीन तितलियों की सरगोशियां
लगा यूँ बस ज़िन्दगी थम जाए यहीं
मगर .
ख़्वाबों का काफिला भी क्या?
कभी थमा है कहीं?