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Sonal Bhatia Randhawa

Others

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Sonal Bhatia Randhawa

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ख़्वाबों का काफिला

ख़्वाबों का काफिला

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कल रात मिला ख़्वाबों का इक काफिला

अजनबी मुकामों से गुज़रता हुआ

पहुंचा जब तेरे शहर में कहीं

लगा यूँ जैसे जन्नत यहीं है यहीं

वो सूरज की किरणों से

बल खाती नदी की अठखेलियां

वो हवा की मादक धुन पर

लहराती पेड़ों की डालियाँ

वो चहकते हुए पंछियों की

मासूम किलकारियाँ

वो लालिमा आसमान की मानो

साजन की बाँहों में कोई दुल्हनिया

वो ओस से भीगे फूलों पर

रंगीन तितलियों की सरगोशियां

लगा यूँ बस ज़िन्दगी थम जाए यहीं

मगर .

ख़्वाबों का काफिला भी क्या?

कभी थमा है कहीं?


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