कैसा ये प्यार
कैसा ये प्यार
तुझे पाने के धोखे में, हर लम्हा सवार रही हूं
कुछ उम्मीद नहीं पर अपना सब हार रही हूं
बंद आंखों में एक मीठा सा सपना है
पूरा होना जिसका अपना किस्मत भी नहीं है
हां, हाथ थामे मैं साथ चलूंगी डगर तुम्हारे साथ अपने नापुंगी
मिले जो मंजिल तुम्हें खुद ही राह अपनी मोड़ लूंगी
क्या शिकायत करूं तुझसे, जब तुझसे ही उसकी तकदीर नहीं
बस तुझे पाने के धोखे में अपना हर लम्हा जी रही हूं.....!