STORYMIRROR

दयाल शरण

Others

3  

दयाल शरण

Others

कागज के राजा

कागज के राजा

1 min
232


मुझसे मेरा शहर छुड़ाने

आये मेरे शहर के लोग।

दरवाज़े पे दस्तक देकर

घर से बाहर लाये लोग ।।


दिखने को कागज़ के राजा

बारिश में गल जाते लोग।

भूख देख कर चुपके-चुपके

रोटियाँ गिनने वाले लोग।।


सारे दिन बस तारे गिनना

रात को सो जाने वाले लोग।

मुझ को मेरा काम गिनाने

आये कुछ पद वाले लोग।


थोड़ा-थोड़ा जमीं से ऊपर

आसमान में लटके लोग।

हवा से बातें करने निकले

लिए लिहाफ ठिठुरते लोग।।


दिखने को कागज़ के राजा

बारिश में गल जाते लोग।

मुझ से मेरा शहर छुड़ाने

आये मेरे शहर के लोग।



Rate this content
Log in