कागज के राजा
कागज के राजा

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मुझसे मेरा शहर छुड़ाने
आये मेरे शहर के लोग।
दरवाज़े पे दस्तक देकर
घर से बाहर लाये लोग ।।
दिखने को कागज़ के राजा
बारिश में गल जाते लोग।
भूख देख कर चुपके-चुपके
रोटियाँ गिनने वाले लोग।।
सारे दिन बस तारे गिनना
रात को सो जाने वाले लोग।
मुझ को मेरा काम गिनाने
आये कुछ पद वाले लोग।
थोड़ा-थोड़ा जमीं से ऊपर
आसमान में लटके लोग।
हवा से बातें करने निकले
लिए लिहाफ ठिठुरते लोग।।
दिखने को कागज़ के राजा
बारिश में गल जाते लोग।
मुझ से मेरा शहर छुड़ाने
आये मेरे शहर के लोग।