जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान
जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान
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इस वसुन्धरा पर हम आए,
जिस मातृभूमि पर हैं हम आए।
वही हमारी कर्मभूमि हो,
साॅ॑स ली जिस वायु में हमने,
पिया नीर और अन्न हैं हम खाए।
सुखकर रहना-आना-जाना,
उसी भूमि में मर-मिल जाना।
प्रभो यही मम नीयत रहे,
और प्रभो यह नियत रहे।
