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Vivek Agarwal

Others

4.9  

Vivek Agarwal

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जिंदगी

जिंदगी

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जिंदगी की रेत से, ख़ुशी के कंकड़ छान लेते हैं।

ये जीना जीना तो नहीं, पर चलो मान लेते हैं।


तू गयी जब, तो सोचा था अब मिलेगा सुकूं।

तू नहीं तो तेरी, यादों के ख़ंजर जान लेते हैं।


नहीं चाहिये अब, हमें तेरी नज़र-ए-'इनायत।

ग़ुरूर आज भी है, हम नहीं अहसान लेते हैं।


मत करना मेरे, लौट कर आने का इंतज़ार।

पलटते नहीं कभी, एक बार जो ठान लेते हैं।


नादाँ हैं वो, जो रखते हैं वफ़ा की कोई उम्मीद।

यहाँ चंद सिक्कों में, लोग ख़रीद ईमान लेते हैं।


यदि खुश रहना है, तो सब्र रखना है बेहद ज़रुरी। 

ज़िंदगी से बड़ी क़ीमत, कम्बख्त अरमान लेते हैं।


ऐ दुनिया वालों, तुमसे मुझे कोई शिकवा नहीं।

गिला अपनों से है, जान कहाँ अनजान लेते हैं।


चैन से सोने दो, जागते हुए अब थक गया हूँ मैं।

क्यूँ ये फ़रिश्ते भी, रोज़ नये इम्तिहान लेते हैं।


मत सिखाओ हमें, इस जहान के रिवाज-ओ-रस्म।

अपने खुद के 'विवेक' से, अब हम संज्ञान लेते हैं।


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