STORYMIRROR

Meera Ramnivas

Abstract

4  

Meera Ramnivas

Abstract

गर्मी आई

गर्मी आई

1 min
254


गर्मी आई

अमलतास, गुलमोहर, चंपा पर

फूलों की रुत आई

पीली, सफेद, लाल छटा ने

 प्रकृति की शोभा बढ़ाई


अमलतास गुलमोहर चंपा ने

गर्म दोपहर महकाई

खूब रौनक लगाई  

पीपल बरगद नीम 

फल फूल रहे हैं

 आम अमियों से

 झुक रहे हैं


गुलमोहर अमलतास खिलखिला रहे हैैं 

गर्मी को धता बता रहे हैं

पत्ते गिरे,सूने हुए

 फिर अंकुर फूट आये , 

 पत्ते गिरना प्रकृति की

 व्यवस्था है


p>

पुराने का जाना नये का आना

समय की व्यवस्था है

बसंत ने किसलय दिया

गर्मी ने यौवन खिला दिया

प्रकृति अच्छे बुरे समय को

 सहना सिखाती है 

नाजुक वक्त में,

धीरज रखना, सिखाती है ।


वृक्ष पतझड़ में,

 संयम से खड़े रहते हैं। 

इंसान प्रतिकूल समय में ,

संयम खो बैठते हैं। 

सृष्टि का सुंदर विधान है

हर मौसम देता

धरा को नई जान है


गर्मी के गर्भ में

बरखा छुपी है

गर्मी भी धरा को

 देती खुशी है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract