गृहस्थी
गृहस्थी
पति पत्नी,गृहस्थी की गाड़ी
के दो पहिये
बनते हमराह जिस घड़ी
भरते वचन उस घड़ी
करेंगे इस गाड़ी को हम
पार चाहे जो भी बन पड़ी
बराबर हें दोनों को चलना
श्रम दोनों को है करना
नहीं उसमे कोई विडम्बना
गृहस्थी का यही आधार
इसमे नहीं कोई विवेचना
गृहस्थी को पालना पोसना
यही उनकी आराधना
बनते एक दूजे के पूरक
करनी हो जब भी कोई साधना
बचाते हर घड़ी उसको
करना पड़े आंधी का भी सामना
सहते हर दुख सुख को साथ साथ
होते दोनों के हाथों में हाथ
रहेंगें हर पल में साथ साथ
करते जीवन में यही कामना।