ग़ज़ल - भूल जा
ग़ज़ल - भूल जा
जो पुरानी सी कहानी दिल दुखाए भूल जा।
जो ख़ुशी दे याद रख जो ग़म बढ़ाए भूल जा।
छेड़ कोई धुन नयी अब साज कोई चुन नया,
वो मुहब्बत के तराने साथ गाए भूल जा।
चाहते हो जो अगर रिश्ते निभाना तुम यहाँ,
याद मीठे बोल रख कड़वे कहाए भूल जा।
जिंदगी इक इम्तिहाँ जो आजमाती है हमें,
पल हँसी के याद रख आँसू बहाए भूल जा।
झूठ का ही बोलबाला मोल सच का कुछ नहीं,
पाठ सारे जो किताबों ने सिखाए भूल जा।
जीत हो या हार हो तू रख हमेशा हौसला,
जोश दे जो याद रख वो जो डराए भूल जा।
नेक रस्ते पर चले जो मानते सबको समान,
कर मदद सबकी यहाँ अपने पराए भूल जा।