घेट्ठा पड़ने तक
घेट्ठा पड़ने तक
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आज ही तुम्हारे महत्वाकांक्षाओं के
प्रकाश उगे हैं
और आज ही
इंद्रधनुषी सपनों के
फूल खिले हैं
सफलताएं पास बुलाती
लगती हैं तुम्हें
अफसोस तुम्हारे भोलेपन पर
और सहानुभूति भी
यदि बता दूंगा
तुम्हारे और तारों के बीच की दूरी
असमंजस में पड़ जाओगे
हो सकता है
सड़कों के
समानांतर रेखाओं के बीच भी
भटक जाओ
या
फांसी लगाकर लटक जाओ
इसीलिए
चुप रहकर इंतज़ार करुंगा
तुम्हारे हाथों में घेट्ठा पड़ने तक
कि
तुम्हें धूप में रहना
अब अच्छा लगने लगा है
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