एक लड़की को दीवानों सा....
एक लड़की को दीवानों सा....


जिंदगी मानकर
जिसको
ऐतबार किया था मैंने,
उसकी ख़ातिर कितनो को
इंकार किया था
मैंने,
तन्हा छोड़ दिया,
जिंदगी के सफ़र में,
बरसो से जिसका
इंतज़ार
किया था मैंने,
किसको दिखाऊँ
दिल के जख़्म,
कौन भला
फ़ुरसत में हैं,
ख़ुद को महफ़िल में भी
तन्हा
पाया था मैंने।
क्योंकि...
एक लड़की को
दीवानों सा
प्यार किया था मैंने...!