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Ratna Kaul Bhardwaj

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Ratna Kaul Bhardwaj

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एक ग़ज़ल - मेरा वजूद

एक ग़ज़ल - मेरा वजूद

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खयालात जब सुर्ख़ियों का रुख अपनाते हैं

किसको आँसों तो किसको मुस्कराहट दें, नहीं जानते हैं


इस दिल का हाल वही जाने जो मात दे चुका हो हालातों को

वर्ना चमकते आशियाने भी अपनी वीरानी कहाँ भूल पाते हैं ....


अरमानों के खरीदारों की इस दुनिया में कमी कहाँ हैं

अरमानों को सजोनें वाले पर अब कहाँ मिलते हैं ....


दिलों को तोड़ने वालों से, गुलशन भरे पड़े हैं

दिलों को जोड़ने के लिए यह हाथ अक्सर फड़फड़ाते हैं ....


अल्फ़ाज़ अल्फ़ाज़ हैं , कोई खरीद - फरोख्त की चीज़ नहीं

अल्फ़ाज़ रूहों को छू जाये, बस यही एक कोशिश करते रहते हैं ...


आँखें नम होने के लिए भी एक शख्सियत चाहिए

चलती हवाएं, गर्द का गुब्बारा भी आंखों में नमी लाते हैं ....


मेरी ज़िन्दगी का वजूद बस इतना , बस इतना सा है

दिल के आँसों कभी हंसाते, तो कभी रुलाते हैं ....


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