एक दिन इसी मिट्टी में ...
एक दिन इसी मिट्टी में ...
तोल मोल के बोल
बोल तेरे हैं अनमोल
यही सही वक्त हैं
भेद सारे खोल
अभी नहीं तो कभी नहीं
मत बोल गोल - मटोल
अब जिम्मा तेरे कंधों पर
दोस्त तू ही भविष्य मेरे देश का
माना कि सब कुछ बिगड़ा हुआ
मगर अभी भी वक्त हैं सुधर जा
वर्ना कुछ नहीं बचेगा यहाँ
मौका होगा न कोई साथी
सत्य परेशां हैं मगर
पराजित नहीं हो सकता
इतिहास गवाह हैं यारों
सब का हिसाब पूरा होता हैं
याद रखो हमेशा पंछी उड़ान तो भरते हैं
पर उन्हें जमीं पर भी आना होता हैं एक दिन
क्यूंकि गगन में घोंसला तो नहीं होता ना
वक्त के तकाजे को पहचानो अब तो
जो कंधों पर उठाते नाच रहे इशारों पर
वही कल तुम्हें पैरो तले रौंध देंगे
इतनी अकड़ दुःसाहस ठीक नहीं
एक दिन इसी मिट्टी में मिल जाना हैं