दुल्हन बैठी उदास है
दुल्हन बैठी उदास है
दुल्हन बैठी आज उदास है
घर पर आई जो उसकी बारात है
सखी-सहेलियां भी सब आस-पास है
माहौल में कुछ दु:खद एहसास है,
माता - पिता की आंखें भी नम है
बेटी के जुदा होने का जो गम है
उसके सुखद वैवाहिक जीवन का भी चिंतन है
क्या इसलिए बेटी पराई धन है,
दुल्हन बैठी आज उदास है
घर पर आई जो उसकी बारात है...
माता - पिता की जुदाई से पलके नम है
भाई - बहन से बिछड़ने का भी गम है
सखी- सहेलियों का साथ भी अब कम है
चेहरे पर भी कभी खुशी तो कभी गम है,
माथे पर भी कुछ शंका का भाव है
नए परिवार में सामंजस्य बिठाने का तनाव है
अपने परिवार के इज्जत का भी सवाल है
जीवन की नई चुनौती का भी दवाब है,
दुल्हन बैठी आज उदास है घर पर आई जो उसकी बारात है...
यही समाज का रीति - रिवाज है
इस विदाई के दु:ख का ना कोई आवाज है
शायाद यही बेटी की सुखद विदाई का एहसास है...