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नविता यादव

Others

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नविता यादव

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दिल करता हैं

दिल करता हैं

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मधुशाला की ओर जाने को दिल करता है,

उसकी चौखट को चूम, नतमस्तक होने को दिल करता है

एक-एक जाम को प्रसाद मान, ग्रहण करने को दिल करता है,

उन बोतलों को भगवान मान शरण में जाने को दिल करता है।।


बहुत हो गया रूकसते जिंदगी, अब बोतलों की रंगीनियों में खो रंगीन होने को दिल करता है,

बहके - बहके से हो अंदाज हमारे, अब रास्ते भटकने को दिल करता है,

आंखों से निकल रहे आंसुओं को, उस जाम में मिला पीने को दिल करता है,

मधुशाला की ओर जाने को दिल करता है।।


शराब को महबूब बना, आशिक़ी करने को दिल करता है,

उसको अपने जिस्म में उतार, दिल्लगी करने को दिल करता है,

उससे नाता जोड़, एक अलग दुनिया बसाने को दिल करता है,

मधुशाला की ओर जाने को दिल करता है,

मधुशाला की ओर जाने को दिल करता है।।


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