ढल जाऊँगा
ढल जाऊँगा
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मैं भी शाम की तरह कभी न कभी ढल जाऊँगा
ढ़लने के बाद तुझे कभी न कभी खल जाऊँगा
तेरी याद में कल नही, आज नही, कल जाऊँगा
ढूंढूगा याद में अपनी, वहाँ कुछ हसीन पल को
वो हसीन पल मिला तो मिला, वर्णा निकल जाऊँगा
मैं भी शाम की तरह कभी न कभी ढल जाऊँगा
तेरी राह से मंज़िल पे बेशक अकेला ही चल जाऊँगा
लेकिन उस राह पे खुद को तन्हा देख मैं जल जाऊँगा
मैं मुसीबत की तरह आपकी जिंदगी से टल जाऊँगा
मैं भी शाम की तरह कभी न कभी ढल जाऊँगा
