चमक
चमक
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
चाँद तू इतना चमक, रोशन हो जाये हर घर।
तेरी स्वर्णिम किरणों से, प्रफुल्लित हो धरा अम्बर।।
तेरी चमक इतनी प्रगाढ़, नभ का तम भी दूर कर जाती।
हो सारे चाँदनी, पर तेरे बिन, अमावस अँधेरा छा जाती।।
अंधकार का राज मिटा, उर में नित शुभ्रता भर।
चाँद तू इतना चमक, रोशन हो जाये हर घर।।
महलों और बँगलों में जाना, झोपड़ियों को न भूल जाना।
हँसी, खुशी का जीवन जी सकें, उनको भी ऐसा ख्व़ाब दिखाना।।
सपनों को साकार करने, देना उन्हें हौसलों का पर।
चाँद तू इतना चमक, रोशन हो जाये हर घर।।
जग को निर्मल बुद्धि दे, क्षमा, दया मिटने न पाये।
ऊँच-नीच का भेद हो दूर, अज्ञान का तिमिर छँट जाये।।
मलिन इस बुद्धि को, पावन, शुचि कर दे प्रखर।
चाँद तू इतना चमक, रोशन हो जाये हर घर।।