बादलों में छिपा चौथ का चाँद.
बादलों में छिपा चौथ का चाँद.
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इंतजार करती रही
आप कहां छूपे रहे ?
बादलों से ढके रहे,
आप क्यूँ छुपे रहे?
चौथ के चाँद का,
इंतजार रहता है
सुहागनें सजती है,
दिल बेताब रहता है
एक झलक देखने को,
हम तरसते रहे
इंतजार करती रही ,
आप क्यूँ छुपे रहे?
मौलिक रचना
अंशु शर्मा