चाँद के कंगन"
चाँद के कंगन"
1 min
367
रात ने पहन लिए हैं
चाँद के कंगन।
तारों की ओढ़नी और...
जुगनुओं की पायल ।
उतरी धरा पे उजाले की दुल्हन
महावर लगे पाँव
सपनों की दहलीजपर छाप
शगुन ले रही रातरानी
आ चुपके से महक उठी।
सन्नाटा बजा रहा शहनाई
धीमे धीमे,चुप बिल्कुल चुप
बोलने दो सन्नाटेको
खोलने दो घूंघट
रात शरमाई और सिमट गयी
अम्बर के आगोश में।
सूरज बिखेर किरणे
स्वर्णिम खुश है
चूम रही हैं महावर लगे
पदचिन्ह उषा भी।