बुलंद हौंसले
बुलंद हौंसले
जि़न्दा हो तू जि़न्दगी से,
कर अपने यूँ हौसले बुलन्द,
हासिल कर उस मुकाम को
कि मंज़िल अब दूर नहीं।
वक्त से टकरा जा तू
दे खुदाई को ललकार,
कुछ ऐसा कर तू हासिल
कि ख़ुदा खुद दे तेरी मिसाल।
ना हो मायूस मौके से
वो तो आते ही रहेंगे,
तुझे ठुकराने वाले
तेरे दीदार को तरसेंगे।
तू परख ले अपनों को
अपना ले सपनों को,
जीवन कि इस राह पे
ना होना बेखबर।
जब पाए तू अपनी मंज़िल
ना जाना उसे भूल,
वो तो तुझे परख रहा है
और वो ही तुझे करेगा कुबूल।