बुजुर्गों का सम्मान
बुजुर्गों का सम्मान
वृद्धजन हैं घर में तरुवर की शीतल छाया
अपनों की खातिर भरी धूप में देह तपाया
इन्होंने ने ही तो घर का आँगन महकाया
फिर क्यों खलता हैं सबको इनका साया
साथ निभाया उम्र भर अब हो रहे मौन
सब खुद में व्यस्त हो गए पूछते अब इनको कौन
नौकरी की खातिर बच्चे जाकर बस गए विदेश
मोह छोड़कर न पाए रह गए अपने ही देश
इंतजार कर पथरा जाती आता न कोई सन्देश
तन्हा तन्हा रहते हुए काट रहे जीवन ये शेष
खामियां हर किसी में है करो नजरंदाज
एक नए सन्देश फैलाने का करो नया आगाज
अपने घर के बड़ों का गर करेंगे मान सम्मान
जैसा कर्म करेगा वैसा ही फल देगा भगवान
जीते जी ही उनकी इच्छा का इतना रखो सम्मान
आने वाली पीढ़ी भी सीख सके ये संस्कार।।