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Shilpi Goel

Others

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Shilpi Goel

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बसेरा

बसेरा

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गांव के लोग शहर काम की तलाश में आते हैं,

यहाँ की चकाचौंध देख अपना बसेरा भूल जाते हैं।

माना खूब तरक्की कर ली शहरों ने हमारे,

कर कर हरे-भरे वातावरण को दर किनारे।

खुले आँगन की जगह बंद कमरों ने ले ली,

प्रदूषित हवा ने यहाँ साँसे तक छीन ली।

बेशक,

बड़ी-बड़ी इमारतें आकर्षण का केन्द्र बनीं है,

लेकिन,

सुकून की जिंदगी तो आज भी गांव में ही बसी है।

चूल्हे की रोटी और असली घी का स्वाद भूल,

खाकर बर्गर-पिज्जा कहते हैं स्वयं को कूल।

ना सोने का वक्त ना जागने का भान है,

समझ रहा स्वयं को शक्तिशाली इंसान है।

एकाकीपन से जूझ रहे हैं शहरों में सब,

अपनापन मिलेगा जाने कैसे और कब।

प्रकृति की खुशहाली में ही सबकी हँसी छिपी है,

शहर की जिंदगी तो एसिडिटी और गैस में फँसी है।



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