Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Meera Ramnivas

Abstract

4  

Meera Ramnivas

Abstract

भूख

भूख

1 min
352


ज्येष्ठ मास की दोपहर

 सूरज उगल रहा है आग

हवा ने भी बदला है मिजाज 

 हर तरफ गर्मी का कहर है

तप रहा हर गांव हर शहर है

पशु पंछी पेड़ों की छांव में छुपे हैं

 मानव पंखों वाले घरों में छुपे हैं।


 लेकिन रामू मोची कड़ी धूप में ,

फुटपाथ पर बैठा है।

 कटी फटी छतरी का 

सहारा लिए बैठा है

ग्राहक की आस 

 लगाये रहता है

 पेटी में रखी जमा पूंजी

गिनता रहता है

शाम के आटे दाल का, 

हिसाब लगाता रहता है।


जब तब पेटी का, 

तकिया बना सुस्ता लेता है।

गर्मी को भगाने ,

गर्म पानी पी लेता है।

जब भी कोई ग्राहक आता है

 ठंडी हवा का झौंका लाता है।  


रामू धूप के जाने तक

फुटपाथ पर डटा रहता है

 पेट की खातिर

 धूप ताप सहता है 

रामू को धूप ताप 

नहीं सताती है

बच्चों की भूख 

सताती है।।


Rate this content
Log in