बापू जी के तीन बन्दर
बापू जी के तीन बन्दर
बापू जी के तीन बन्दर, तीन सीख सिखलाते हैं,
यदि तुम इन पर चलकर देखो, जीवन का पाठ पढ़ाते हैं।
पहला बन्दर कहता देखो, दुनिया में बहुत गड़बड़ झाला है,
इसको देखा, उसको देखा, अपने अन्दर छिपी चतुराई है,
अपने गिरेबान में न झाँका करते, ड़बल कैरेक्टर की रीति अपनाई है।
अगर चाहते तुम इनसे बचना, मेरी यह बात याद रखना,
अपनी तुम आँखें बन्द रखना, इसमें छिपी भलाई है।
दूसरा बन्दर कहता देखो, दुनिया में बहुत बड़बोला है,
सब कहते हैं अपनी - अपनी, दूसरों की करते बुराई हैं,
मान बढ़ाई के चक्कर में, आपस में करते लड़ाई हैं।
अगर चाहते हो इनसे बचना, मेरी यह बात याद रखना,
अपने कानों को तुम बन्द रखना, इसमें छिपी भलाई है।
तीसरा बन्दर कहता देखो, दुनिया में बहुता झमेला है,
कोई किसी से कडुवा कहता, गाली की भाषा अपनाई है,
माप - तोल कर न बोला करते, अपनी करते बढाई है।
अगर चाहते तुम इनसे बचना, मेरी यह बात याद रखना,
अपने मुख को तुम बन्द रखना, इसमें छिपी भलाई है।
हम तो हैं बापू के तीन बन्दर, तुम भी प्यारे बन सकते हो,
मेरे तीन आदर्शों पर चलकर, जीवन सफल बना सकते हो।
