बाजीगर
बाजीगर
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ऊपर बैठा वो बाजीगर जाने क्या मन में ठाने है,
कभी सुख तो कभी दुख जीवन में आने जाने हैं,
जब तट से टकराती जल की लहरें होती विह्वल,
इसी तरह जीवन में होती रहती कुछ उथल- पुथल,
जरूर कुछ अच्छा लिखा है उसने हमारे भाग्य में,
तभी तो इस विरले मन में उपवन की सी बहारें हैं,
इस बाजीगर ने ही सपनों के सुनहरे पंख लगाये हैं,
तभी तो हम पूरे दिल से सिर्फ उसके ही दीवाने हैं.
