अल्फाज़ मेरे
अल्फाज़ मेरे
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अल्फाज़ आज भी वही हैं
मेरे पर तेरे देखने का नजरिया
ही बदल गया
बोलती तो मैं, आज भी
वैसा ही पर तेरे समझने
का दौर ही बदल गया
मैं आज भी वही हूं पर
तेरे प्यार करने का रूप
ही जैसे बदल गया
तुम जो भी समझो मुझे
अब मुझे कोई फर्क ही
नहीं पड़ता
अल्फाज मेरे आज भी
वही है जो बरसों पहले थे
फिर क्या कमी तुझे है
दिखी,जो तेरे देखने का नजरिया
ही बदल गया।
