अहम साथ
अहम साथ
जब से जाना इक-दूजे को
तब से माना इक-दूजे को
हर पहलू हर नज़रिए से
समझते हुए इक-दूजे को।
क़दम बढ़ाते हुए एक साथ
लड़खड़ाहट में इक-दूजे को थाम
मंज़िल-दर-मंज़िल तय करते हुए
लेकर हाथों में हाथ।
कभी दाएं कभी बाएं घूमते हुए
इर्द गिर्द चक्कर काटते हुए
सवालों के जवाब बनकर
इम्तहानों से गुज़रते हुए।
बचपन की उंगली पकड़े हुए
जवानी की धड़कनें गिनते हुए
आपस में बतियाते-खिलखिलाते
मंज़िल की ओर बढ़ते हुए।
कोई भी खेल खेलते हुए
रोज़ जीते हुए, हंसते हुए
हसीं ख़्वाब बुनते-बुनते
अहम साथ को समझते हुए।
बचपन की या बचपने की बात
ख़ुद पर इतराते दिन-रात
अपना जहां बसाने के लिए
मिल कर हर बाधा को करें मात।
