आँखें
आँखें
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वो आँखें
जिन्हें मैं ढूंढता हर रोज,
वो मेरी अपनी ही थी !
वो तो मुझे
तब पता चला,
ज़ब मैंने
अपने आपको उसकी आँखों मे देखा,
ऐसा लगता हैं की
वो नजरें मुझे
आज भी तलाशती हैं,
मेरा पता पूछती हैं,
मगर ये तो
उसकी नजरों मे
दिखता हैं,
मैं यक़ीन कैसे कर लूँ,
उन फरेबी नजरों पर,
आँखें तो धोखा नहीं दे सकती !