आकुल प्रश्न
आकुल प्रश्न
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हे विराट!
जग के संकुल तुम
क्यों कर खेल रचाते हो,
धरा पटल पर भेज हमें
तुम क्या अभिप्राय बनाते हो
है यह जगत सत्य या फिर
यह सत्य ही कोई माया है,
है यह प्रतिक्रति स्वयं तुम्हारी
अथवा केवल छाया है,
कौन प्रयोजन रहा कि तुमने
ऐसा खेल रचाया है
आना जाना खोना पाना
तुमने इसमें क्या पाया है
द्विविधा मन की पीड़ हो रही
अब उद्देश्य दिखाओ तुम,
जीवन यह छलना है केवल
या कुछ और बताओ तुम
