चाहतों का चादर सिमट कर रूमाल सा बस रह गया है चाहतों का चादर सिमट कर रूमाल सा बस रह गया है
अग्निमय हो गया तो क्या हुआ, बन जा तू अग्निमणि... अग्निमय हो गया तो क्या हुआ, बन जा तू अग्निमणि...
इसीलिए तो आज कंक्रीट का जंगल बन पड़ा है इसीलिए तो आज कंक्रीट का जंगल बन पड़ा है
जहाँ ज़िन्दगी खुद के सुकून के लिए नहीं बल्कि एक दूसरे को हराने के लिए जी जाती है। जहाँ ज़िन्दगी खुद के सुकून के लिए नहीं बल्कि एक दूसरे को हराने के लिए जी जाती...
और इंसान बस खड़ रहा... हे इंसान तेरी चाहत है क्या.... और इंसान बस खड़ रहा... हे इंसान तेरी चाहत है क्या....
कहानी पढ़ी बहुत अब... चेहरे पढ़ना सीख रही । कहानी पढ़ी बहुत अब... चेहरे पढ़ना सीख रही ।