सीख रही
सीख रही
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आज गिर गये हो तो क्या ..
धूल चढ़ेगी ..
तभी तो हाथ झटकेंगे ...
पांव जो हार गये
वो फिर से चलेंगे.....
फितरत की चादर उतरेगी..
अपने अपनों की असलियत दिखेगी...
दिमाग का गर्म खून...
अड़ियल की नहीं सच्चाई की कहानी है...
वर्ना तो ठंडक
में मुस्कान
झूठों की जुबानी है ...
सीख रही हूँ सोनिया मैं इस भरे बाज़ार का हुनर...
कहानी पढ़ी बहुत अब...
चेहरे पढ़ना सीख रही ।