असहिष्णुता की धुंध में ओझल थे दोनों छोरों पर इकट्ठे लोगों के दुखी चेहरे शक और गलतफहमियों की आग में स... असहिष्णुता की धुंध में ओझल थे दोनों छोरों पर इकट्ठे लोगों के दुखी चेहरे शक और गल...
इस चालीस पार का क्या ग़म मनाना इस चालीस पार का क्या ग़म मनाना
जख्मों को वो अपने खुद सीने लगता है मेरा मन बादलों सा उड़ने लगा है। जख्मों को वो अपने खुद सीने लगता है मेरा मन बादलों सा उड़ने लगा है।
आज की नारी की सोच को दिखाती सशक्त रचना। आज की नारी की सोच को दिखाती सशक्त रचना।
जहां सिर्फ तुम और हम रहेंगे, और बिना किसी डर के तुम्हें अपना कह सकेंगे। जहां सिर्फ तुम और हम रहेंगे, और बिना किसी डर के तुम्हें अपना कह सकेंगे।
याद वहीं पर खड़ी है आज तक याद वहीं पर खड़ी है आज तक