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पुल के पार

पुल के पार

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पुल बन गया था

हमे मिलाने को

बड़ा ही मज़बूत था

लोहा पूरी तरह लोहा था

रेत का अनुपात सीमेंट के साथ उतना ही था

जो रिश्ते को प्रगाढ़ बनाता है जीवन में

लम्बे जीवन की गारण्टी था पुल का विस्तार

पुल के इस पार हम थे

उस पार वे

असहिष्णुता की धुंध में

ओझल थे दोनों छोरों पर इकट्ठे लोगों के दुखी चेहरे

शक और गलतफहमियों की आग में

सुलग रही थी मनुष्यता

संस्कृतियों का इंद्रधनुष बिखेर रहा था

केवल खून की सुर्खियाँ

कुछ लोग थे

कराह और चीख पुकार

मिटाने के लिए

यत्न करते पर

नहीं थी कोई गारण्टी

वे सफल ही होंगे

पुल बनाने वाले

संतुष्ट थे पुल बना कर

देखते थे दूर से

पुल के पार

@c आरती तिवारी


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