हम क्यों देखें ,दुनिया की चमक। हमें भी तो अपने कंधों ,पर सितारे चमकाना है। 🌹 रवि कुमार
हर पल चाहा जान से अपने, बेजान मैं तुझको कहूं कैसे। हर पल देखा मुस्काती तुझको, हर पल चाहा जान से अपने, बेजान मैं तुझको कहूं कैसे। हर पल देखा मुस्काती तुझको,
बस रास्ते अलग हुए, मंजिल न हमारी। वो भी तो थी हमें, प्राणों से प्यारी। बस रास्ते अलग हुए, मंजिल न हमारी। वो भी तो थी हमें, प्राणों से प्यारी।
मेरी कांपी पेन भी मईया, जैसे लगते मंत्र मूल। मेरी कांपी पेन भी मईया, जैसे लगते मंत्र मूल।
एक ही मां के दो बेटे, एक किसान एक जवान। एक बनाता उसर बंजर, एक बनाता देश महान । एक ही मां के दो बेटे, एक किसान एक जवान। एक बनाता उसर बंजर, एक बनाता देश महान...
मिट्टी से फिर घर मैं बनाता, वो फिर दुल्हन बनकर आती। मिट्टी से फिर घर मैं बनाता, वो फिर दुल्हन बनकर आती।
"जल है जीवन का आधार, सृष्टि का है अमर श्रृंगार। "जल है जीवन का आधार, सृष्टि का है अमर श्रृंगार।
कह न सका रवि कुछ मां, बस यह छोटी सी पाती है। कह न सका रवि कुछ मां, बस यह छोटी सी पाती है।
होता फिर स्नान ध्यान, भजन पूजन करवाते थे। बैठते खाना खाकर, फिर निशदिन बतियाते थे। होता फिर स्नान ध्यान, भजन पूजन करवाते थे। बैठते खाना खाकर, फिर निशदिन बतियाते...
क्या शौक नहीं इनको, निज जननी पर काम मिले। क्या शौक नहीं इनको, निज जननी पर काम मिले।
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