हम क्यों देखें ,दुनिया की चमक। हमें भी तो अपने कंधों ,पर सितारे चमकाना है। 🌹 रवि कुमार
Share with friendsअरमानों में पंख लगा, उन्मुक्त हमें उड़ना होगा। है नया सफर मंजिल भी नई, तन्हां-तन्हां चलना होगा।। रवि प्रजापति "अबोध"
कहां से सीखा है बेईमानी करना,जो इतना इतरा रहा है। छुपाकर आंसुओं का शैलाब, निर्लज्ज तू मुस्कुरा रहा है। रवि प्रजापति "अबोध"