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कहां से...

कहां से सीखा है बेईमानी करना,जो इतना इतरा रहा है। छुपाकर आंसुओं का शैलाब, निर्लज्ज तू मुस्कुरा रहा है। रवि प्रजापति "अबोध"

By Ravi PRAJAPATI
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