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परिंदा भी नज़र न आ रहा, बची सिर्फ निर्जनता की परछाई परिंदा भी नज़र न आ रहा, बची सिर्फ निर्जनता की परछाई
वो पैगाम कहाँ से मैं लाऊँ? वो पैगाम कहाँ से मैं लाऊँ?
दूसरा जीवन तकलीफों से भरपूर, लकीरें घिस गई काम करते, दूसरा जीवन तकलीफों से भरपूर, लकीरें घिस गई काम करते,
थम गया था आसमान, सांसें रोक सोच रहे थे, थम गया था आसमान, सांसें रोक सोच रहे थे,
तू अपने मुकाम तक बढ़ जायेगा, तू अपने मुकाम तक बढ़ जायेगा,
हम भी चट्टान बन कर खड़े, हर एक लहर तब लगी चटखने हम भी चट्टान बन कर खड़े, हर एक लहर तब लगी चटखने
किसी की हँसी में खुशी है, ये दुनिया को बताना, किसी की हँसी में खुशी है, ये दुनिया को बताना,
बिछ जाती है बर्फ की चादर, छिप जाती है उनके तले नदियाँ, बिछ जाती है बर्फ की चादर, छिप जाती है उनके तले नदियाँ,
जो कहते है हर कदम साथ रहेंगे , बसंत -बहार या पतझड़ में, जो कहते है हर कदम साथ रहेंगे , बसंत -बहार या पतझड़ में,
एक समुद्र मंथन हुआ था, जिसका विष शिव जी ने पिया था, एक समुद्र मंथन हुआ था, जिसका विष शिव जी ने पिया था,