मेरी कविताएं मेरे लिए एक डायरी के जैसी हैं✍️ , जो भी और जैसा भी किसी विषय पर सोचती हूं , वैसा ही कविता के रूप में लिखने का प्रयास करती हूं ,शायद इसीलिए "मनसी" हूं ✍️✍️
एकतरफा खिसका दो मेरी सारी शिकायतें एकतरफा खिसका दो मेरी सारी शिकायतें
उछाल दूंगी अपनी तमाम कविताएं पतंगें बनाकर उछाल दूंगी अपनी तमाम कविताएं पतंगें बनाकर
वैसे भी करुण होने का संताप हम स्त्रियों के हिस्से में ही है जन्म से ! है न ! वैसे भी करुण होने का संताप हम स्त्रियों के हिस्से में ही है जन्म से ! ह...
तुमने कहीं-न-कहीं बचाए रखा मनुष्यता को सही से ! तुमने कहीं-न-कहीं बचाए रखा मनुष्यता को सही से !
बहुत ही साधारण सी हूं मैं.. नहीं होते वाक्यांश मेरे अमृता प्रीतम के जैसे बहुत ही साधारण सी हूं मैं.. नहीं होते वाक्यांश मेरे अमृता प्रीतम के जैसे
ये तो अभी ठीक से ईश्वर को भी पता नहीं और मनुष्य तलाश में है इसकी ! ये तो अभी ठीक से ईश्वर को भी पता नहीं और मनुष्य तलाश में है इसकी !
डिप्रेशन तो वो जानता ही नहीं था, फिर भी.. तब इन पर कोई बहस नहीं थी डिप्रेशन तो वो जानता ही नहीं था, फिर भी.. तब इन पर कोई बहस नहीं थी
सिकुड़ जाएंगे सारे वृक्ष, अनाथ हो जाएंगे जंगल, सिकुड़ जाएंगे सारे वृक्ष, अनाथ हो जाएंगे जंगल,
एक.. मन भर बिखरने को, और एक.. जी भर..संभलने को एक.. मन भर बिखरने को, और एक.. जी भर..संभलने को
बादल लिखा, पानी लिखा, और बारिश का दर्द लिखा बादल लिखा, पानी लिखा, और बारिश का दर्द लिखा