आज़ाद लेखक
शुक्रिया… उन पलों का, जो समय की डायरी में कभी दर्ज नहीं हुए, पर मेरे भीतर शुक्रिया… उन पलों का, जो समय की डायरी में कभी दर्ज नहीं हुए, पर मेरे भीतर
जलवा खुद का अपने मन को भाया है, गुजर जाते है अपनी तनहा हालो से।। जलवा खुद का अपने मन को भाया है, गुजर जाते है अपनी तनहा हालो से।।
कुछ इस कदर खो गए जुड़ के तेरे नाम से कुछ इस कदर खो गए जुड़ के तेरे नाम से
मन चाहता है खुले आसमान में उड़ता जाऊं, पंछियों संग आसमा में मै भी पंख फैलाऊँ।। मन चाहता है खुले आसमान में उड़ता जाऊं, पंछियों संग आसमा में मै भी पंख फैलाऊँ...
नफरत की दुनिया से खुद को आज़ाद करूँ, इस पंछी मन को सरहद पार आबाद करूँ नफरत की दुनिया से खुद को आज़ाद करूँ, इस पंछी मन को सरहद पार आबाद करूँ
मेरी चाहत अधूरी ही सही फिर भी तेरे लिए बेशुमार है। मेरी चाहत अधूरी ही सही फिर भी तेरे लिए बेशुमार है।
तो मुमक़िन है कि हम मौत जैसे ख़ौफ़ से आज़ाद हो जाये। तो मुमक़िन है कि हम मौत जैसे ख़ौफ़ से आज़ाद हो जाये।
अब जीस्त मुकम्मल करते हैं अपने सफर सुहाने करते हैं। अब जीस्त मुकम्मल करते हैं अपने सफर सुहाने करते हैं।
यह अश्क बहुत पुराने हैं कुछ गुज़रे हैं कुछ आने हैं, यह अश्क बहुत पुराने हैं कुछ गुज़रे हैं कुछ आने हैं,
थोड़ी अल्हड़ थोड़ी पागल वो मासूम सी लड़की अप्सराओं और परियों से ज्यादा वो प्यारी सी लड़की कभी हसात... थोड़ी अल्हड़ थोड़ी पागल वो मासूम सी लड़की अप्सराओं और परियों से ज्यादा वो प्यार...