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Jonty dubey

Classics Inspirational

5.0  

Jonty dubey

Classics Inspirational

कशमकश

कशमकश

1 min
758


थोड़ी दुनियादारी खुद से खुद को समझाई जाए

कुछ शाम भी खुद के संग बिताई जाए, 


सब कुछ तो अफ़साना है 

दिल को खुद से ही बहलाना है,


अब दिन दोपहर शाम रात 

बस गम का आना जाना है,


ये नींद ख्वाब सब बातें हैं 

बस जागी सोई राते हैं, 


दरिया के आन की बातें हो 

सागर के शान की बातें हो,


यह अश्क बहुत पुराने हैं 

कुछ गुज़रे हैं कुछ आने हैं,


कुछ बचा नहीं है रोने को 

सब भूल गया हूं खोने को,


मुफ्त कहां कुछ मिलता है 

राहों से शज़र कुछ कटता है, 


अब आसमान में जाते हैं 

अब सारे गुल खिलाते हैं, 


अब जीस्त मुकम्मल करते हैं 

अपने सफर सुहाने करते हैं।


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