अनकहे अल्फ़ाज़ पिरोकर जज़्बात बयाँ करती हूँ।
हो ऐसी जादूगरी मुकम्मल हो ख़्वाब करे सैराब मुझे। हो ऐसी जादूगरी मुकम्मल हो ख़्वाब करे सैराब मुझे।
हर पल में ज़िंदगी के साथ एक दूजे ख़ुशी का पाते हैं हर पल में ज़िंदगी के साथ एक दूजे ख़ुशी का पाते हैं
बदले हुए ये मौसम की हर फ़ज़ा में तुम हो। बदले हुए ये मौसम की हर फ़ज़ा में तुम हो।
ख़्वाहिशें हैं लाखों मगर दास्तान ये सुनानी है। ख़्वाहिशें हैं लाखों मगर दास्तान ये सुनानी है।
देता है शक्ल नज़रिए को ज़हन बन के दस्तकार देता है शक्ल नज़रिए को ज़हन बन के दस्तकार
हो जाएँगे अमर यूँ ज़र्रे-ज़र्रे में हम-तुम दिखेंगे। हो जाएँगे अमर यूँ ज़र्रे-ज़र्रे में हम-तुम दिखेंगे।
बयाँ कर एहसास काग़ज़ पर मैं और मेरी क़लम! बयाँ कर एहसास काग़ज़ पर मैं और मेरी क़लम!
आता नहीं है दिल को तारीफ किसी की भी कर दे लाख चेहरे देखे हैं मगर उनकी तरह बेहतरीन नहीं। आता नहीं है दिल को तारीफ किसी की भी कर दे लाख चेहरे देखे हैं मगर उनकी तरह बे...
मेहनत के ज़ोर पर बनते हैं वजूद और बिसात मेहनत के ज़ोर पर बनते हैं वजूद और बिसात
नदिया का नीर भी कहाँ एक-सा बहता है नदिया का नीर भी कहाँ एक-सा बहता है