Shital Yadav
Literary Brigadier
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अनकहे अल्फ़ाज़ पिरोकर जज़्बात बयाँ करती हूँ।

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बिछड़ा बचपन हर लम्हा ज़ुबाँ पर फिर मिलने की फ़रियाद लाता है झाँकते हैं जब तस्वीरों में वक़्त की तब वो गुज़रा ज़माना याद आता है शीतल विशाल यादव

बिछड़ा बचपन हर लम्हा ज़ुबाँ पर फिर मिलने की फ़रियाद लाता है झाँकते हैं जब तस्वीरों में वक़्त की तब वो गुज़रा ज़माना याद आता है शीतल विशाल यादव

बिछड़ा बचपन हर लम्हा ज़ुबाँ पर फिर मिलने की फ़रियाद लाता है झाँकते हैं जब तस्वीरों में वक़्त की तब वो गुज़रा ज़माना याद आता है शीतल विशाल यादव

बिछड़ा बचपन हर लम्हा ज़ुबाँ पर फिर मिलने की फ़रियाद लाता है झाँकते हैं जब तस्वीरों में वक़्त की तब वो गुज़रा ज़माना याद आता है शीतल विशाल यादव

इंसान की सकारात्मक सोच ही क्षण-क्षण जीवनरूपी दीपक को प्रज्वलित रखती है मन विकार का अंधियारा मिटा आजीवन नवदिशा उज्ज्वल भविष्य की देती रहती है शीतल विशाल यादव

रुसवाइयाँ मिली मोहब्बत को ज़मानेवालों से बनकर रह गई ख़ामोशियाँ ज़िंदगी का हिस्सा दास्तान-ए-चाहत रहकर मगर दिलों में ज़िन्दा पाओगे पन्नों में इबादत के बंदगी का किस्सा शीतल विशाल यादव

रुसवाइयाँ मिली मोहब्बत को ज़मानेवालों से बनकर रह गई ख़ामोशियाँ ज़िंदगी का हिस्सा दास्तान-ए-चाहत रहकर मगर दिलों में ज़िन्दा पाओगे पन्नों में इबादत के बंदगी का किस्सा शीतल विशाल यादव

जोड़कर सबके दिलों को खेलना है ऐसी पारी नेज़ा-ए-कलम से यूँ जीत लेना है दुनिया सारी शीतल विशाल यादव

मासूम अदा ने दिल को ऐसे छुआ दीदार को तरसते रहने लगे ये नैना उसे छुप-छुप के देखा था कई दफ़ा जागते रहते ख़यालों में मिले न चैना शीतल विशाल यादव


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